अनुभव का उपहार
समर भूमि संसार है, विजयी होते वीर,मारे जाते हैं सदा, निर्बल-कायर-भीर।मुँह पर ढकना दीजिए, वक्ता होए शांत,मन के मुँह को ढाँकना, कारज कठिन नितांत।दुख के भीतर ही छुपा, सुख का सुमधुर स्वाद,लगता है फल, फूल...
View Articleजो भी होगा अच्छा होगा
जो भी होगा अच्छा होगा,फिर क्यूँ सोचें कल क्या होगा ।भले राह में धूप तपेगी,मंज़िल पर तो साया होगा ।दिन को ठोकर खाने वाले,तेरा सूरज काला होगा ।पाँव सफ़र मंज़िल सब ही हैं,क़दम-दर-क़दम चलना होगा...
View Articleतबला वादन में ख्यातिलब्ध महिलाएँ
हिंदुस्तानी संगीत में तालवाद्यों में तबला सबसे अधिक प्रतिष्ठित वाद्ययंत्र है । शास्त्रीय संगीत हो या सुगम, गायन-वादन हो या नृत्य, एकल वादन हो या संगत, लोकगीत हो या सिनेगीत, सभी में तबले की...
View Articleऊबते देखे गए
भीड़ में अस्तित्व अपना खोजते देखे गए,मौन थे जो आज तक वे चीखते देखे गए।आधुनिकता के नशे में रात दिन जो चूर थे,ऊब कर फिर ज़िंदगी से भागते देखे गए।हाथ में खंजर लिए कुछ लोग आए शहर में,सुना हे मेरा ठिकाना...
View Articleतितलियों का ज़िक्र हो
प्यार का, अहसास का, ख़ामोशियों का ज़िक्र हो,महफ़िलों में अब ज़रा तन्हाइयों का ज़िक्र हो।मीर, ग़ालिब की ग़ज़ल या, जिगर के कुछ शे‘र हों,जो कबीरा ने कही, उन साखियों का ज़िक्र हो।रास्ते तो और भी हैं, वक़्त...
View Articleपूजा से पावन
जाने -पहचाने बरसों के फिर भी वे अनजान लगे, महफ़िल सजी हुई है लेकिन सहरा सा सुनसान लगे । इक दिन मैंने अपने ‘मैं’ को अलग कर दिया था ख़ुद से,...
View Articleग्रेगोरियन कैलेण्डर
तिथि, माह और वर्ष की गणना के लिए ईस्वी सन् वाले कैलेण्डर का प्रयोग आज पूरे विश्व में हो रहा है। यह कैलेण्डर आज से 2700 वर्ष पूर्व प्रचलित रोमन कैलेण्डर का ही क्रमशः संशोधित रूप है।...
View Articleफूल हों ख़ुशबू रहे
दर रहे या ना रहे छाजन रहे,फूल हों ख़ुशबू रहे आँगन रहे ।फ़िक्र ग़म की क्यों, ख़ुशी से यूँ अगर,आँसुओं से भीगता दामन रहे ।झाँक लो भीतर कहीं ऐसा न हो,आप ही ख़ुद आप का दुश्मन रहे ।ज़िंदगी में लुत्फ़ आता है...
View Articleहोली का दस्तूर
देहरी पर आहट हुई, फागुन पूछे कौनमैं बसंत तेरा सखा, तू क्यों अब तक मौन।निरखत बासंती छटा, फागुन हुआ निहालइतराता सा वह चला, लेकर रंग गुलाल।कलियों के संकोच से, फागुन हुआ अधीर वन-उपवन के भाल पर, मलता गया...
View Articleविमोचन
छ.ग. प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, ज़िला इकाई, बेमेतरा के तत्वावधान में मेरा काव्य संग्रह ‘‘श्वासों का अनुप्रास’’का विमोचन देश के सुपरिचित व्यंग्यकार, कवि और पत्रकार श्री गिरीश पंकज और प्रसिद्ध...
View Articleतीन मणिकाएं
1.तुम्हारा झूठउसके लिएसच हैमेरा सचकिसी और के लिएझूठ हैऐसा तो होना ही थाक्योंकिसच और झूठ कोतौलने वाला तराजूअलग-अलग हैहम सबका !2.जो नासमझ हैउसे समझाने से क्या फ़ायदाऔर जो समझदार हैउसेसमझाने की क्या ज़रूरत...
View Articleएक बस्तरिहा गीत और झपताल
परंपरागत जनजातीय गीतों की कुछ अपनी विशिष्टताएं होती हैं । पहली, इनमें 3, 4 या कहीं-कहीं 5 स्वरों का ही उपयोग होता है । आधुनिक संगीत में कुल 12 स्वर होते हैं । कर्नाटक संगीत में 22 स्वर या श्रुतियां...
View Articleशिवसिंह सरोज
‘शिवसिंह सरोज’, एक ग्रंथका नाम है, जिसकी रचना आज से 143 वर्ष पूर्व जिला उन्नाव, ग्राम कांथा निवासी शिवसिंह सेंगर नाम के एक साहित्यानुरागी ने की थी । इस ग्रंथ में पंद्रहवीं शताब्दी से लेकर सन् 1875 ई....
View Articleउसके हृदय में पीर है सारे जहान की
नीरज - श्रद्धांजलि विनम्र श्रद्धांजलि4 जनवरी, 1925 - 19 जुलाई, 2018हिंदी के श्रेष्ठ कवियों के स्वर्णयुग का अंतिम सूरज अस्त हो गया ।सर्वप्रिय गीतकार नीरज ने ग़ज़लें भी कहीं । उनके समय के हिंदी के बहुत से...
View Articleआइन्स्टीन ने धर्म के संबंध में क्या कहा था
14 जुलाई, 1930 को, अल्बर्ट आइंस्टीन ने भारतीय दार्शनिक, संगीतकार और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का बर्लिन के अपने घर में स्वागत किया। दोनों की बातचीत इतिहास में सबसे उत्तेजक, बौद्धिक और...
View Articleबाँसुरी हो गई
इल्म की चाह ही बंदगी हो गई,अक्षरों की छुअन आरती हो गई ।सामना भी हुआ तो दुआ न सलाम,अजनबी की तरह ज़िंदगी हो गई ।प्यास ही प्यास है रेत ही रेत भी,उम्र की शाम सूखी नदी हो गई ।चुप रहूँ तो कहें बोलते क्यों...
View Articleअंधविश्वास का मनोविज्ञान
एक वाक्य में अंधविश्वास को परिभाषित करना मुश्किल है क्योंकि इसका क्षेत्र बहुत व्यापक है । मोटे तौर पर कह सकते हैं कि ‘तर्कहीन विश्वास’ अंधविश्वास है । अपने विकास क्रम में जब मनुष्य थोड़ा सोचने-समझने...
View Articleसमाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण की दुर्दशा
आम तौर पर यह समझा जाता है कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संबंध केवल वैज्ञानिकों से है, ऐसा बिल्कुल नहीं है । वास्तव में वैज्ञानिक दृष्टिकोण जीवन जीने का एक तरीका है ( सोचने की एक व्यक्तिगत और सामाजिक...
View Articleभविष्यकथन - एक दृष्टि
आजकल टेलीविज़न के चैनलों में भविष्यफल या भाग्य बताने वाले कार्यक्रमों की बाढ़ आई हुई है । स्क्रीन पर विचित्र वेषभूषा में राशिफल या लोगों की समस्याओं के समाधान बताते ये लोग भविष्यवक्ता कहे जाते हैं । क्या...
View Articleधूप, चांदनी, सीप, सितारे
सच्चाई की बात करो तो, जलते हैं कुछ लोग,जाने कैसी-कैसी बातें, करते हैं कुछ लोग।धूप, चांदनी, सीप, सितारे, सौगातें हर सिम्त,फिर भी अपना दामन ख़ाली, रखते हैं कुछ लोग।उसके आँगन फूल बहुत है, मेरे आँगन...
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