वह जो जानता था अनंत को
(श्रीनिवास रामानुजन् की सौवीं पुण्यतिथि पर विशेष)“प्रतिभा और योग्यता प्रायः विषम परिथितियों में ही विकसित होती हैं । रामानुजन् हजारों सूत्रों, सिद्धांतों और विवरणों एक ऐसा खजाना छोड़ गए हैं जो दुनिया के...
View Articleशिशु ने नामकरण किया मां-बाबा का
सभी जीवों के साथ-साथ मनुष्यों के जीवन के लिए हवा के बाद पानी दूसरा महत्वपूर्ण पदार्थ है । पानी के लिए दुनिया की विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग शब्द हैं, जैसे मलय भाषा में एइर, लैटिन में एक्वा, रूसी में...
View Articleहिन्दी साहित्य के संगीतमय गीत
गीत-संगीत किसे अच्छा नहीं लगता ! यदि गीत किसी प्रख्यात साहित्यकार का हो जिसे संगीतबद्ध कर गाया गया हो तो ऐसी रचना सहसा ध्यान आकर्षित करती ही है । प्रसिद्ध साहित्यकार धर्मवीर भारती की एक कविता है- ‘ढीठ...
View Articleभारत की संत परंपरा - तब और अब
भारत सदा से संतों की भूमि रहा है । आज भी संत उपाधि धारण करने वाले अनेक हैं किंतु इनकी विशेषताएं अतीत के संतों से नितांत भिन्न परिलक्षित होती हैं । विगत आठ-नौ सौ वर्षों तक भारतीय समाज और संस्कृति को एक...
View Articleजा जा रे अपने मंदरवा-पं. जसराज
पं. जसराज (28 जनवरी, 1930-17 अगस्त, 2020) संगीत मार्तण्ड पंडित जसराज को अपने जीवन काल में एक ऐसा सम्मान मिला जो भारतीय संगीत के किसी भी साधक को...
View Articleतेरह महीने का वर्ष
कुँवार या आश्विन का महीना शुरू हो गया है। इसके समाप्त होने के बाद इस वर्ष कुँवार का महीना दुहराया जाएगा तब उसके बाद कार्तिक का महीना आएगा। दो कुँवार होने के कारण वर्तमान वर्ष अर्थात विक्रम संवत् 2077...
View Articleहम दुनिया के लोग
समाज में जाति और धर्म के आधार पर मनुष्यों के विभाजन की परंपरा पिछले 2 हज़ार वर्षों में ही निर्मित और प्रचलित हुई है। हम में से किसी के लिए भी निश्चयपूर्वक और प्रमाण सहित यह बता पाना मुश्किल है कि आज से...
View Articleप्राचीन संस्कृत साहित्य के उद्धारक
भारत के प्राचीन धार्मिक और अन्य साहित्य का दूसरी सभ्यताओं की तुलना में विशाल भंडार है किंतु यह साहित्य दो सौ साल पहले तक आम भारतीय के लिए उपलब्ध नहीं था । इसके कुछ कारण हैं, पहला, यह सारा साहित्य...
View Articleदेवता
आदमी को आदमी-सा फिर बना दे देवता,काल का पहिया ज़रा उल्टा घुमा दे देवता।लोग सदियों से तुम्हारे नाम पर हैं लड़ रहे,अक़्ल के दो दाँत उनके फिर उगा दे देवता।हर जगह मौज़ूद पर सुनते कहाँ हो इसलिए,लिख रखी है...
View Articleशीत : सात छवियाँ
धूप गरीबी झेलती, बढ़ा ताप का भाव,ठिठुर रहा आकाश है,ढूँढ़े सूर्य अलाव ।रात रो रही रात भर, अपनी आंखें मूँद,पीर सहेजा फूल ने, बूँद-बूँद फिर बूँद ।सूरज हमने क्या किया, क्यों करता परिहास,धुआँ-धुआँ सी...
View Articleसच के झरोखे से - विमोचन
मेरी दूसरी पुस्तक ‘सच के झरोखे से ’ का विमोचन ‘कोईभीकृतिकारअमरनहींहोताकिन्तुउसकीकोईअमरहोजातीहै।‘यहविचारव्यक्तकियाविद्वानभाषाविदडॉ....
View Articleशिक्षा, धार्मिकता और मानव-विकास
मनुष्य ने पिछली कुछ सदियों में ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व विस्तार किया है । ज्ञान के इस विस्तार ने बहुत सी पारंपरिक मान्यताओं को बदला है जिन्हें मनुष्य हजारों वर्षों तक ज्ञान समझता रहा...
View Articleछत्तीसगढ़ी लोकगीतों का सामाजिक संदर्भ
लोकसंस्कृति को जानने-समझने का प्रमुख जरिया लोकसाहित्य है। लोकसाहित्य का इतिहास उतना ही प्राचीन है जितनी कि मानवजाति। लोक मानस की अभिव्यक्ति का एक माध्यम वह गेय रचना-साहित्य है जिसमें लोक जीवन के...
View Articleप्राचीन संस्कृत साहित्य में होली
होली की मान्यता लोकपर्व के रूप में अधिक है किन्तु प्राचीन संस्कृत-शास्त्रों में इस पर्व का विपुल उल्लेख मिलता है । भविष्य पुराण में तो होली को शास्त्रीय उत्सव कहा गया है । ऋतुराज...
View Articleजिज्ञासा और तर्क - मनुष्य के धर्म
मनुष्य और अन्य प्राणियों में महत्पूर्ण अंतर यह है कि मनुष्य में सोचने, तर्क करने और विकसित भाषा का प्रयोग करने की क्षमता होती है । शेष कार्य तो सभी प्राणी न्यूनाधिक रूप से करते ही हैं । उक्त विशेष...
View Articleतानाशाहों की मानसिक प्रवृत्तियाँ
19 वीं शताब्दी तक दुनिया के अधिकांश देशों में राजतंत्र था तब राज्य के प्रमुख शासक को राजा, सम्राट आदि कहा जाता था । अपनी असीमित शक्तियों का प्रयोग करने वाले इनमें से कुछ राजा निरंकुश और अत्याचारी भी...
View Articleधर्म से दूर होती नैतिकता
अलग-अलग संस्कृति में धर्म का अर्थ अलग-अलग होना संभव है । इसी प्रकार नैतिकता के अर्थ में भी किंचित भिन्नता हो सकती है । किंतु सभी संस्कृतियों में धर्म का सामान्यीकृत अर्थ 'ईश्वरीय सत्ता पर विश्वास'है...
View Articleहिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत - परंपरा और प्रयोग
शास्त्रीय संगीत कई सदियों से भारत की संस्कृति का हिस्सा रहा है और आज भी है। सामगायन से प्रारंभ हुई यह परंपरा भारत की सांस्कृतिक एकता का सबसे महत्वपूर्ण घटक है । विशेष रूप से हिंदुस्तानी संगीत तो अब...
View Articleविदेशी साज पर देशी राग
भारतीय शास्त्रीय संगीत की दोनों पद्धतियों, हिंदुस्तानी और कर्नाटक संगीत में एकल वाद्य-वादन का उतना ही महत्वपूर्ण स्थान है जितना एकल गायन का । सदियों पहले शास्त्रीय संगीत में वाद्यों की संख्या सीमित थी...
View Articleसत्य हुआ असमर्थ
जंगल तरसे पेड़ को, नदिया तरसे नीर,सूरज सहमा देख कर, धरती की यह पीर ।मृत-सी है संवेदना, निर्ममता है शेष,मानव ही करता रहा, मानवता से द्वेष ।अर्थपिपासा ने किया, नष्ट धर्म का...
View Articleसूर्य से दीये तक - अग्नि की वैश्विक यात्रा
दीप कैसा हो कहीं हो, सूर्य का अवतार है यहजल गया है दीप तो अँधियार ढल कर ही रहेगादीप के लिए अभिव्यक्त कवि नीरज की इन सरल-सहज पंक्तियों में हमारी गौरवमयी वैश्विक संस्कृति के अनेक आयामों की अभिव्यंजना...
View Articleप्रकृति भली जग की जननी है
(किशोरों के लिए गीत ) प्रकृति भली, जग की जननी है ।सब प्राणी को देती जीवन यह रचती नदिया-पर्वत-वन,भाँति -भाँति के अन्न-फूल-फल न्योछावर करती है हर पल, सोच, दया करती कितनी है, प्रकृति भली, जग की...
View Articleआवश्यक है वैज्ञानिक समझ विकसित करना
पिछले दिनों गोवा की राजधानी पणजी में सातवाँ ‘भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव’ संपन्न हुआ । सन् 2015 से प्रारंभ हुए इस महत्वपूर्ण आयोजन का एक उद्देश्य युवाओं में वैज्ञानिक समझ की प्रवृत्ति को...
View Articleसात दोहे
जल से काया शुद्ध हो, सत्य करे मन शुद्ध,ज्ञान शुद्ध हो तर्क से, कहते सभी प्रबुद्ध।धरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत,सारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर,जहाँ नदी में...
View Articleसमर भूमि संसार है
दुख के भीतर ही छुपा, सुख का सुमधुर स्वाद,लगता है फल, फूल के, मुरझाने के बाद।हो अतीत चाहे विकट, दुखदायी संजाल,पर उसकी यादें बहुत, होतीं मधुर रसाल।विपदा को मत...
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