ग़ज़ल: पलकों के लिए
आँख में तिरती रही उम्मीद सपनों के लिए,गीत कोई गुनगुनाओ आज पलकों के लिए।आसमाँ तू देख रिश्तों में फफूँदी लग गई,धूप के टुकड़े कहीं से भेज अपनों के लिए।है बहुत मुश्किल कि गिरकर गीत भी गाए कोई,है मगर आसान...
View Articleदोहे
बाहर के सौंदर्य को , जानो बिल्कुल व्यर्थ,जो अंतर्सौंदर्य है, उसका ही कुछ अर्थ।समय नष्ट मत कीजिए, गुण शंसा निकृष्ट,जीवन में अपनाइए, जो गुण सर्वोत्कृष्ट।चक्की जैसी आदतें, अपनाते कुछ लोग,हरदम पीसें और को,...
View Articleमौन का सहरा हुआ हूँ
आग से गुज़रा हुआ हूँ,और भी निखरा हुआ हूँ।उम्र भर के अनुभवों के,बोझ से दुहरा हुआ हूँ।देख लो तस्वीर मेरी,वक़्त ज्यों ठहरा हुआ हूँ।बेबसी बाहर न झाँके,लाज का पहरा हुआ हूँ।आज बचपन के अधूरे, ख़्वाब-सा बिखरा...
View Articleजहाँ प्रेम सत्कार हो
युवा-शक्ति मिल कर करे, यदि कोई भी काम,मिले सफलता हर कदम, निश्चित है परिणाम।जिज्ञासा का उदय ही, ज्ञान प्राप्ति का स्रोत,इसके बिन जो भी करे, ज्ञानार्जन न होत।अहंकार जो पालता, पतन सुनिश्चित होय,बीज प्रेम...
View Articleधूप-हवा-जल-धरती-अंबर
किसे कहोगे बुरा-भला है,हर दिल में तो वही ख़ुदा है।खोजो उस दाने को तुम भी,जिस पर तेरा नाम लिखा है।शायद रोया बहुत देर तक,उसका चेहरा निखर गया है।ख़ून भले ही अलग-अलग हो,आँसू सबका एक बहा है।उसने दी है मुझे...
View Articleबस इतनी सी बात
जल से काया शुद्ध हो, सत्य करे मन शुद्ध,ज्ञान शुद्ध हो तर्क से, कहते सभी प्रबुद्ध।धरती मेरा गाँव है, मानव मेरा मीत,सारा जग परिवार है, गाएँ सब मिल गीत।ज्ञानी होते हैं सदा, शांत-धीर-गंभीर,जहाँ नदी में...
View Articleहर तरफ
वायदों की बड़ी बोलियाँ हर तरफ,भीड़ में बज रही तालियाँ हर तरफ।गौरैयों की चीं-चीं कहीं खो गई,घोसलों में जहर थैलियाँ हर तरफ।वो गया था अमन बाँटने शहर में,पर मिलीं ढेर-सी गालियाँ हर तरफ।भूख से मर रहे हैं...
View Articleसूरज: सात दोहे
सूरज सोया रात भर, सुबह गया वह जाग,बस्ती-बस्ती घूमकर, घर-घर बाँटे आग।भरी दुपहरी सूर्य ने, खेला ऐसा दाँव,पानी प्यासा हो गया, बरगद माँगे छाँव।सूरज बोला सुन जरा, धरती मेरी बात,मैं ना उगलूँ आग तो, ना होगी...
View Articleदो कविताएँ
1.मैं ही सही हूँशेष सब गलत हैंऐसा तो सभी सोचते हैंलेकिन ऐसा सोचने वाले कुछ लोगअनुभव करते हैंअतिशय दुख काक्योंकिशेष सब लोगलगे हुए हैंसही को गलत और गलत को सहीसिद्ध करने में2.मुझे एक अजीब-सा सपना आयामैंने...
View Articleहँसी बहुत अनमोल
कर प्रयत्न राखें सभी, मन को सदा प्रसन्न,जो उदास रहते वही, सबसे अधिक विपन्न।गहन निराशा मौत से, अधिक है ख़तरनाक,धीरे-धीरे जि़ंदगी, कर देती है ख़ाक।वाद-विवाद न कीजिए, कबहूँ मूरख संग,सुनने वाला ये कहे,...
View Articleशुक्र का पारगमन- एक दुर्लभ घटना
‘भोर का तारा‘ या ‘सांध्य तारा‘ के रूप में सदियों से परिचित शुक्र ग्रह अर्थात ‘सुकवा‘ 6 जून, 2012 को एक विचित्र हरकत करने जा रहा है। आम तौर पर पूर्वी या पश्चिमी आकाश...
View Articleउम्र भर
जख़्म सीने में पलेगा उम्र भर,गीत बन-बन कर झरेगा उम्र भर।घर का हर कोना हुआ है अजनबी,आदमी ख़ुद से डरेगा उम्र भर।जो अंधेरे को लगा लेते गले,नूर उनको क्या दिखेगा उम्रं भर।दिल के किस कोने में जाने कब...
View Articleआगत की चिंता नहीं
धनमद-कुलमद-ज्ञानमद, दुनिया में मद तीन,अहंकारियों से मगर, मति लेते हैं छीन।गुणी-विवेकी-शीलमय, पाते सबसे मान,मूर्ख किंतु करते सदा, उनका ही अपमान।जला हुआ जंगल पुनः, हरा-भरा हो जाय,कटुक वचन का घाव पर, भरे...
View Articleसोचिए ज़रा
कितनी लिखी गई किताब सोचिए ज़रा,क्या मिल गए सभी जवाब सोचिए ज़रा।काँटों बग़ैर ज़िंदगी कितनी अजीब हो,अब खिलखिला रहे गुलाब सोचिए ज़रा।ज़र्रा है तू अहम विराट कायनात का,भीतर उबाल आफ़ताब सोचिए ज़रा।चले उकेर के...
View Articleआत्मा का आहार
दुनिया कैसी हो गई, छोड़ें भी यह जाप,सब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप।दोष नहीं गुण भी जरा, औरों की पहचान,अपनी गलती खोजिए, फिर पाएं सम्मान।धन से यदि सम्पन्न हो, पर गुण से कंगाल,इनका संग न कीजिए, त्याग...
View Articleइस वर्ष दो भाद्रपद क्यों ? --- तेरह महीने का वर्ष
अभी भादों का महीना चल रहा है। इसके समाप्त होने के बाद इस वर्ष कुंवार का महीना नहीं आएगा बल्कि भादों का महीना दुहराया जाएगा। दो भादों होने के कारण वर्तमान वर्ष अर्थात विक्रम संवत्...
View Articleज्ञान हो गया फकीर
नैतिकता कुंद हुईन्याय हुए भोथरे,घूम रहे जीवन केपहिए रामासरे।भ्रष्टों के हाथों मेंराजयोग की लकीर,बुद्धि भीख माँग रहीज्ञान हो गया फकीर।घूम रहे बंदर हैंहाथ लिए उस्तरे।धुँधला-सा दिखता हैआशा का नव...
View Articleदुख का हो संहार
उद्यम-साहस-धीरता, बुद्धि-शक्ति-पुरुषार्थ,ये षट्गुण व्याख्या करें, मानव के निहितार्थ।जब स्वभाव से भ्रष्ट हो, मनुज करे व्यवहार,उसे अमंगल ही मिले, जीवन में सौ बार।जो अपने को मान ले, ज्ञानी सबसे...
View Articleसंत किसन दास
राजस्थान के प्रमुख संतों में से एक थे- संत किसन दास। इनका जन्म वि.सं. 1746, माघ शुक्ल 5 को नागौर जनपद के टांकला नामक स्थान में हुआ। इनके पिता का नाम दासाराम तथा माता का नाम महीदेवी था। ये मेघवंशी थे।...
View Articleक्या हुआ
बाग दरिया झील झरने वादियों का क्या हुआ,ढूंढते थे सुर वहीं उन माझियों का क्या हुआ।कह रहे कुछ लोग उनके साथ है कोई नहीं,हर कदम चलती हुई परछाइयों का क्या हुआ।जंग जारी है अभी तक न्याय औ अन्याय की,राजधानी...
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