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Channel: शाश्वत शिल्प
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नवगीत

शब्दों से बिंधे घावउम्र भर छले,आस-श्वास पीर-धीरमिल रहे गले।सुधियों के दर्पण में अलसाये-से साये,शुष्क हुए अधरों नेमूक छंद फिर गाए,हृद के नेहांचल मेंस्वप्न-सा पले।उज्ज्वल हो प्रात-सायुग का नव...

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शब्द रे शब्द, तेरा अर्थ कैसा

‘मेरे कहने का ये आशय नहीं था, आप गलत समझ रहे हैं।‘यह एक ऐसा वाक्य है जिसका प्रयोग बातचीत के दौरान हर किसी को करने की जरूरत पड़ ही जाती है।क्यों जरूरी हो जाता है ऐसा कहना ?उत्तर स्पष्ट है-बोलने वाले ने...

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सुख-दुख से परे

एकमात्र सत्य होतुम हीतुम्हारे अतिरिक्तनहीं है अस्तित्वकिसी और का सृजन और संहार तुम्ही से हैफिर भीकोई जानना नहीं चाहतातुम्हारे बारे में !कोई तुम्हें याद नहीं करता     आराधना नहीं करताकोई भी तुम्हारी...

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सफेद बादलों की लकीर

1. कितनी धुँधली-सी हो गई हैंछवियाँ याआँखों मेंभर आया है कुछशायदअतीत की नदी में गोता लगा रही हैंआँखें !2.विवेक ने कहा-हाँ,यही उचित है !........अंतर्मन का प्रकाशकभी काला नहीं होता !3.दिन गुजर गयाविलीन हो...

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नए वर्ष से अनुनय

ढूँढो कोई कहाँ पर रहती मानवता,मानव से भयभीत सहमती मानवता।रहते हैं इस बस्ती में पाषाण हृदय,इसीलिए आहत सी लगती मानवता।मानव ने मानव का लहू पिया देखो,दूर खड़ी स्तब्ध लरजती मानवता।है कोई इस जग में मानव कहें...

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मृत्यु के निकट

आत्म प्रशंसा त्याज्य है, पर निंदा भी व्यर्थ,दोनों मरण समान हैं, समझें इसका अर्थ।एक-एक क्षण आयु का, सौ-सौ रत्न समान,जो खोते हैं व्यर्थ ही, वह मनुष्य नादान।इच्छा अजर अनंत है, अभिलाषा अति दुष्ट,जो...

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राजरानी देवी

                      सन् 1905 में एक माँ ने जिस बालक को जन्म दिया, वह हिंदी साहित्याकाश में नक्षत्र बन कर चमका। उस बालक को हिंदी और हिंदी साहित्य का ककहरा उसकी माँ ने ही सिखाया। माँ स्वयं एक भावप्रवण...

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छत्तीसगढ़ी हाना

                             वाचिक परम्पराएं सभी संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण अंग होती हैं। लिखित भाषा का प्रयोग न करने वाले लोक समुदाय में संस्कृति का ढांचा अधिकतर मौखिक परम्परा पर आधारित होता है।...

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वर्तमान की डोर

ज्ञान और ईमान अब, हुए महत्ताहीन,छल-प्रपंच करके सभी, धन के हुए अधीन।बिना परिश्रम ही किए, यदि धन होता प्राप्त,वैचारिक उद्भ्रांत से, मन हो जाता व्याप्त।जैसे-जैसे लाभ हो , वैसे बढ़ता लोभ,जब अतिशय हो लोभ...

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संत बाबा किनाराम

                                   बनारस  जिले की चंदौली तहसील के रामगढ़ गांव में अकबर सिंह और मनसा देवी के घर जिस बालक ने जन्म लिया वही प्रसिद्ध संत बाबा किनाराम हुए। 12 वर्ष की अवस्था में इन्होंने...

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बिना बोले

विपत बनाती मनुज को, दुर्बल न बलवान,वह तो केवल यह कहे, क्या है तू, ये जान।कौन, कहां मैं, किसलिए, खुद से पूछें आप,सहज विवेकी बन रहें, कम होगा संताप।मूर्खों के सम्मुख स्वयं, जो बनते विद्वान,विद्वानों के...

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उर की प्रसन्नता

दोनों हाथों की शोभा है दान करने से अरु,मन की शोभा बड़ों का मान करने से है।दोनों भुजाओं की शोभा वीरता दिखाने अरु,मुख की शोभा तो प्यारे सच बोलने से है।कान की शोभा है मीठी वाणी सुनने से अरु,आंख की शोभा तो...

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नेह का दीप

सहमे से हैं लोग न जाने किसका डर है, यही नज़ारा रात यही दिन का मंजर है।दुनिया भर की ख़ुशियां नादानों के हिस्से,अल्लामा को दुख सहते देखा अक्सर है।सच कहते हैं लोग समय बलवान बहुत है,रहा कोई महलों में लेकिन...

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जिस्म पर फफोले

पराबैगनी किरणों के एक समूह नेओजोन छिद्र सेधरती की ओर झांकासयानी किरणों केनिषेध के बावजूदकुछ ढीठ, उत्पाती किरणेंधरती पर उतर आर्इंविचरण करने लगींबाग-बगीचों, नदी-तालाबों औरसड़कों-घरों में भीकुछ पल बाद...

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पितर-पूजन का पर्व

                                           आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की कोर्इ तिथि। अभी सूर्योदय में कुछ पल शेष है। छत्तीसगढ़ के एक गांव का घर। गृहलक्ष्मी रसोर्इघर के सामने के स्थल को गोबर से लीपती है।...

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जानना और समझना

                                   जो जानते हैं, जरूरी नहीं कि वे समझते भी हों। लेकिन जो समझते हैं, वे जानते भी हैं। जानना पहले होता है, समझना उसके बाद। यह तत्काल बाद भी हो सकता है और बरसों भी लग सकते...

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डरता है अंधियार

जगमग हर घर-द्वार  कि अब दीवाली आई,पुलकित  है  संसार  कि  अब  दीवाली आई।दुनिया के  कोने-कोने  में  दीप  जले हैं, डरता है अंधियार कि अब दीवाली आई।गीत प्यार के गीत मिलन के गीत ख़ुशी के, गाओ  मेरे   यार...

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जिस पर तेरा नाम लिखा हो

लम्हा  एक  पुराना  ढूंढ,फिर खोया अफ़साना ढूंढ।वे गलियां वे घर वे लोग,गुज़रा हुआ ज़माना ढूंढ।भला मिलेगा क्या गुलाब से,बरगद  एक  सयाना  ढूंढ।लोग बदल से गए यहां के,कोई  और  ठिकाना  ढूंढ।कुदरत में है तरह...

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आभास

लगता है सत्य कभीअथवा आभास,तिनके-से जीवन परमन भर विश्वास।स्वप्नों की हरियाली जीवन पाथेय बनी,जग जगमग कर देती आशा की एक कनी।डाल-डाल उम्र हुईपात-पात श्वास।जड़ता खिलखिल करतीबैद्धिकता आह !अमरत्व मरणशीलकहानी...

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ग़ज़ल

उतना ही सबको मिलना है,जिसके हिस्से में जितना है।क्यूं ईमान सजा कर रक्खा,उसको तो यूं ही लुटना है।ढोते रहें सलीबें अपनी, जिनको सूली पर चढ़ना है।मुड़ कर नहीं देखता कोई, व्यर्थ किसी से कुछ कहना है।जंग आज...

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