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Channel: शाश्वत शिल्प
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तेरा-मेरा-सब का

सबसे ज्यादा अपना है, वह जो मेरा साया है।मन की आंखें खुल जातीं,दिल में अगर उजाला है।कुछ आखर कुछ मौन बचा,यह मेरा सरमाया है।दुनियादारी है क्या शै,धुंआ-धुंआ सा दिखता है।आंसू मुस्कानों से रिश्ता,तेरा मेरा...

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बुरा लग रहा था

कोई शख़्स ग़म से घिरा लग रहा था,हुआ जख़्म उसका हरा लग रहा था।मेरे दोस्त ने की है तारीफ़ मेरी,किसी को मग़र ये बुरा लग रहा था।ये चाहा कि इंसां बनूं मैं तभी से,सभी की नज़र से गिरा लग रहा था।लगाया किसी ने...

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सद्गुण ही पर्याप्त है

    पुष्पगंध विसरण करे, चले पवन जिस छोर,किंतु कीर्ति गुणवान की, फैले चारों ओर ।ग्रंथ श्रेष्ठ गुरु जानिए, हमसे कुछ नहिं लेत,बिना क्रोध बिन दंड के, उत्तम विद्या देत ।मान प्रतिष्ठा के लिए, धन आवश्यक...

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ख़ामोशी

तन्हाई में जिनको सुकून-सा मिलता है,आईना भी उनको दुश्मन-सा लगता है।दिल में उसके चाहे जो हो तुझको क्या,होठों से तो तेरा नाम जपा करता है।तेरी जिन आंखों में फागुन का डेरा था,बात हुई क्या उनमें अब सावन बसता...

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श्रद्धा और तर्क

श्रद्धा किसी व्यक्ति के प्रति भी हो सकती है और किसी अलौकिक शक्ति के प्रति भी। दोनों में सम्मान और विश्वास का भाव निहित होता है। किसी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा की दो स्थितियां हो सकती हैं। प्रथम, लौकिक...

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मंजर कैसे-कैसे

मंजर      कैसे-कैसे     देखे,कुछ हँस के कुछ रो के देखे।बड़ी भीड़ थी, सुकरातों के-ऐब    ढूंढते-फिरते   देखे।घर के भीतर घर, न जाने-कितने बनते-गिरते देखे।पूछा, कितने  बसंत  गुजरे, इतने पतझर कहते...

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घर की चौखट

गूँज उठा पैग़ाम आखि़री, चलो ज़रा,‘जो बोया था काट रहा हूँ, रुको ज़रा।’हर बचपन में छुपे हुए हैं हुनर बहुत,आहिस्ता से चाबी उनमें भरो ज़रा।औरों के बस दोष ढूँढ़ते रहते हो,अपने ज़ुल्मों की गिनती भी करो...

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सर्पिल नीहारिका

ठिठके-से तारों की ऊँघती लड़ी,पथराई लगती है सृष्टि की घड़ी।                     होनी के हाथों में जकड़न-सी आई                     सूरज की किरणों को ठंडक क्यों भाई,झींगुर को फाँस रही नन्ही मकड़ी।पथराई...

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शुभ की कामना

घर का कोना-कोना उजला हुआ करे तो अच्छा हो,मन के भीतर में भी दीपक जला करे तो अच्छा हो।कहते हैं कुछ लोग कि कोई ऊपर वाला सुनता है,तेरा मेरा उसका सबका भला करे तो अच्छा हो।बैठे-ठालों के घर पर क्यों धन की...

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गाता हुआ वायलिन

                              गाता हुआ वायलिन यानी "singing violin"पूरे विश्व में केवल दो कलाकारों के पास है। एक- पद्मभूषण विदुषी एन. राजम् और दूसरी, उनकी भतीजी, विदुषी कला रामनाथ के पास। दोनों...

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श्रद्धा की आंखें नहीं

जंगल तरसे पेड़ को, नदिया तरसे नीर,सूरज सहमा देख कर, धरती की यह पीर ।मृत-सी है संवेदना, निर्ममता है शेष,मानव ही करता रहा, मानवता से द्वेष ।अर्थपिपासा ने किया, नष्ट धर्म का अर्थ,श्रद्धा की आंखें नहीं,...

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मैं हुआ हैरान

घर कभी घर थे मगर अब ईंट पत्थर हो गए,रेशमी अहसास सारे आज खद्दर हो गए।वक़्त की रफ़्तार पहले ना रही इतनी विकट,साल के सारे महीने ज्यूं दिसंबर हो गए।शोर ये कैसा मचा है-सत्य मैं हूं, सिर्फ मैं,आदमी कुछ ही...

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एक बूंद की रचना सारी : संत सिंगा जी

                      भारत के महान संत कवियों के परिचय की श्रृंखला के अंतर्गत मैंने ब्रह्मवादी संतों को प्राथमिकता दी है। मैं मानता हूं कि ब्रह्मवादी विचारधारा सत्य के अधिक निकट है। यह केवल श्रद्धा पर...

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देवता

आदमी को आदमी-सा फिर बना दे देवता,काल का पहिया ज़रा उल्टा घुमा दे देवता।लोग सदियों से तुम्हारे नाम पर हैं लड़ रहे,अक़्ल के दो दाँत उनके फिर उगा दे देवता।हर जगह मौज़ूद पर सुनते कहाँ हो इसलिए,लिख रखी है...

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क्लोन

वहअनादि हैअनंत हैउसेन तोउत्पन्न किया जा सकता हैऔर न ही नष्टउसकानहीं कोई आकार रूप नहीं, गुण नहींवहपदार्थ भी नहींकिंतु  विद्यमान है यत्र-तत्र-सर्वत्रकण-कण में है वहव्यक्त कर लेता हैस्वयं को अनेक रूपों...

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कृष्ण विवर

कुछ भी नहीं थापर शून्य भी नहीं थाचीख रहे उद्गाता ।जगती का रंगमंचउर्जा का है प्रपंच,अकुलाए-से लगतेआज महाभूत पंच,दिक् ने ज्यों काल से तोड़ लिया नाता।न कोई तल होगा न ही कोई शिखर,अस्ति और नास्ति कोनिगलेगा...

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सम्मोहन

अगर मैं ये कहूँकिधर्म से हटा दो आडम्बर पूरी तरह तोक्या तुम मुझेजीने नहीं दोगेऔर अगर मैं ये कहूँकि मैं धर्म मेंमिला सकता हूंकुछ और सम्मोहनकारी आडम्बर तोक्या तुम मुझेमहामंडलाधिपति बना दोगे !...

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औषधि ये ही तीन हैं

श्रेष्ठ विचारक से अगर, करना हो संवाद,उनकी पुस्तक बांचिए, भीतर हो अनुनाद।जिनकी सोच अशक्त है, वे होते वाचाल,उत्तम जिनकी सोच है, नहीं बजाते गाल।सुनना पहले सीखिए, फिर देखें हालात,बुरे वचन में भी दिखे, कोई...

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जाने किसकी नज़र लग गई

कभी छलकती रहती थीं  बूँदें अमृत की धरती पर,दहशत का जंगल उग आया कैसे अपनी धरती पर ।सभी मुसाफिर  इस सराय के  आते-जाते रहते हैं,आस नहीं मरती लोगों की जीने की इस धरती पर ।ममतामयी प्रकृति को चिंता है अपनी...

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मौसम की मक्कारी

हरियाली ने कहा देख लो  मेरी यारी कुछ दिन और,सहना होगा फिर उस मौसम की मक्कारी कुछ दिन और ।बाँस थामकर  नाच रहा था  छोटा बच्चा रस्सी पर,दिखलाएगा वही तमाशा वही मदारी कुछ दिन और ।हर मंजि़ल का सीधा-सादा...

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