सच क्या है
आज से तीन-चार लाख वर्ष पूर्व, जब मनुष्य अपने विकास की प्रारंभिक अवस्था में था, तब किसी समय एक घटना घटित हुई । इस घटना की प्रतिक्रिया दो रूपों में व्यक्त हुई । उस घटना को पहले जान लें -जंगल में दो...
View Articleझूठ का सच
यह सच है कि प्रत्येक व्यक्ति यदा-कदा अनेक कारणों से झूठ बोलता है किंतु जब यह किसी व्यक्ति के लिए आदत या लत बन जाती है तो समाज में वह निंदा का पात्र बन जाता है । कोई भी व्यक्ति नहीं चाहता कि कोई उसे झूठ...
View Article‘वैदिक गणित’ क्या सचमुच वैदिक है
जब मैं ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत था तब सेवारत शिक्षकों और प्रशिक्षु शिक्षकों को वैदिक गणित विषय पर प्रशिक्षण देने का अवसर प्राप्त हुआ था । हमें एक पुस्तक दी गई थी-‘वैदिक गणित’ ।...
View Articleवैदिक गणित और विद्यालयीन पाठ्यक्रम
(मेरे पिछले पोस्ट का दूसरा भाग)दिसंबर 2016, संसद का शीतकालीन सत्र । सदन में भारत शासन से पूछे गए दो दो प्रश्न और संबंधित ‘मिनिस्टर’ द्वारा दिए गए उनके उत्तर-प्र.1. क्या यह सच है कि वैदिक गणित परंपरागत...
View Articleभविष्य के संकटों का तारणहार विज्ञान ही है
दुनिया भर के वैज्ञानिक बार-बार यह चेतावनी देते रहे हैं कि निकट भविष्य में पृथ्वी पर जीवन के लिए बुनियादी आवश्यकताओं- शुद्ध वायु, जल और भोजन के अभाव का संकट अवश्यंभावी है । कुछ देशों में इनका अभाव अभी...
View Articleप्रकृति का ग्रंथ
प्रकृति ने मनुष्य को स्वाभाविक रूप से तार्किक बुद्धि प्रदान की है । मनुष्य की यह क्षमता लाखों वर्षों की विकास यात्रा के दौरान विकसित हुई है । लेकिन सभी मनुष्यों में तर्कबुद्धि समान नहीं होती । जिनके...
View Articleपरंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान
आज से हज़ारों वर्ष पूर्व जब मनुष्य ने प्राकृतिक घटनाओं को समझना प्रारंभ किया तब उसके पास पर्याप्त ज्ञान नहीं था । इसलिए उसने अनुमान के आधार पर व्याख्या करने का प्रयास किया । जैसे, सूर्य और चंद्रग्रहण की...
View Articleउन्नत सभ्यताओं का इतना पतन !
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में सिंधु घाटी, मिस्र, मेसोपोटामिया, बेबीलोन, यूनान और सुमेर की सभ्यताएं सबसे अधिक विकसित थीं । 3-4 हज़ार ईस्वी पूर्व में ये सभ्यताएं ज्ञान-विज्ञान, संस्कृति, कला, साहित्य...
View Articleददरिया में विविध ताल-शैलियों का प्रयोग
छत्तीसगढ़ में आज से 40-50 साल पहले तक ददरिया गीत अपने मौलिक स्वरूप में विद्यमान था । इस मौलिक रूप की कुछ विशेषताएं थीं- खेतों में काम करने वाले श्रमिक इसे गाया करते थे । इस गीत के साथ किसी वाद्य-यंत्र...
View Articleसप्ताह के दिनों का नामकरण - कब, कहां, कैसे ?
समय की गणना के लिए सप्ताह एकमात्र ऐसी इकाई है जो किसी प्राकृतिक घटना पर आधारित नहीं है । समय की अन्य सभी इकाइयां जैसे, वर्ष, महीना, दिन, घटी, घंटा, किसी न किसी प्राकृतिक घटना से संबंद्ध हैं । चंद्रमा...
View Articleपांच सुरों का सौंदर्य
ज्योति कलश छलके,हुए गुलाबी लाल सुनहरेरंग दल बादल के.....यह एक पुरानी फ़िल्म का गीत है । यह गीत आपको आज भी अच्छा लगता होगा। इस गीत की कई ख़ूबियों में से एक यह है कि इस गीत की धुन केवल पांच सुरों के मेल...
View Articleऔपनिषदिक ब्रह्म और उर्जा
उपनिषदों में ब्रह्म की अवधारणा एक दार्शनिक अवधारणा है, धार्मिक अवधारणा नहीं । वेदों के संहिता खंड में बहुत सी प्राकृतिक शक्तियों के लिए प्रार्थनाओं का उल्लेख है । ब्राह्मण खंड में इन प्राकृतिक शक्तियों...
View Articleछत्तीसगढ़ी में संस्कृत के शब्द
छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए इस मौसम में ‘ओल’ महत्वपूर्ण हो जाता है । रबी फसल के लिए खेत की जुताई-बुआई के पूर्व किसान यह अवश्य देखता है कि खेत में ओल की स्थ्ति क्या है । ओल मूलतः संस्कृत भाषा का शब्द है...
View Articleखुला दिमाग़ या बंद दिमाग़
क्या आपको किसी ने कभी कहा है कि ‘ज़रा खुले दिमाग़ से सोचो’ या क्या यही बात आपने किसी से कभी कही है ? इस बात से ऐसा लगता है कि सोचने वाला अब तक ‘बंद दिमाग़’ से सोच रहा था । क्या बंद दिमाग़ से भी सोचा जा...
View Articleभूतविद्या और मनोरोग
पिछले दिनों भूतविद्या समावार पत्रों की सुर्खियाँ बनी रहीं । कुछ ने इसे भूत-प्रेत से संबंधित बताया तो कुछ ने इसे मनोचिकित्सा से संबंधित विद्या कहा । कुछ अतिउत्साही लोगों ने तो इसे पंचमहाभूतों की विद्या...
View Articleआग, पहिया, चूल्हा, चक्की
प्रकृति और उसकी शक्तियाँ शाश्वत हैं । मनुष्य ने सर्वप्रथम प्राकृतिक शक्तियों को ही विभिन्न देवताओं के रूप में प्रतिष्ठित किया । मनुष्य के अस्तित्व के लिए जो शक्तियाँ सहायक हैं, उन को देवता माना गया ।...
View Articleममतामयी प्रकृति
कभी छलकती रहती थीं ,बूँदें अमृत की धरती पर,दहशत का जंगल उग आया ,कैसे अपनी धरती पर ।सभी मुसाफिर इस सराय के , आते-जाते रहते हैं,आस नहीं मरती लोगों की ,बस जीने की धरती पर ।ममतामयी प्रकृति को चिंता ,है...
View Articleवह जो जानता था अनंत को
(श्रीनिवास रामानुजन् की सौवीं पुण्यतिथि पर विशेष)“प्रतिभा और योग्यता प्रायः विषम परिथितियों में ही विकसित होती हैं । रामानुजन् हजारों सूत्रों, सिद्धांतों और विवरणों एक ऐसा खजाना छोड़ गए हैं जो दुनिया के...
View Articleशिशु ने नामकरण किया मां-बाबा का
सभी जीवों के साथ-साथ मनुष्यों के जीवन के लिए हवा के बाद पानी दूसरा महत्वपूर्ण पदार्थ है । पानी के लिए दुनिया की विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग शब्द हैं, जैसे मलय भाषा में एइर, लैटिन में एक्वा, रूसी में...
View Articleहिन्दी साहित्य के संगीतमय गीत
गीत-संगीत किसे अच्छा नहीं लगता ! यदि गीत किसी प्रख्यात साहित्यकार का हो जिसे संगीतबद्ध कर गाया गया हो तो ऐसी रचना सहसा ध्यान आकर्षित करती ही है । प्रसिद्ध साहित्यकार धर्मवीर भारती की एक कविता है- ‘ढीठ...
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